Sunday, September 5, 2021

Khidkiyaan - Spoken Version | खिड़कियाँ अपने दिल की | Inspirational Hindi...


खिड़कियाँ अपने दिल की 
खोलो तो ज़रा 
ओ माय डिअर फ्रैंड 
ऐसे क्यों बैठे हो 
गुमसुम से 
ज़रा आने दो 
कुछ रोशनियों को 
गिरने दो 
अपने दिल की ज़मीनों पर 
और उड़ने दो 
उन् मुस्कुराहटों को 
जिनको छुपा के एक डब्बे में रखा हुआ है कहीं 
ऐसे अंधेरों में भी क्या जीना वीना 
अंधेरों में जीना वीना अब छोड़ो तो ज़रा 
तोड़ो तो ज़रा 
उन् ज़ंजीरों को
और खोलो तो ज़रा 
उन् सारे दरवाज़ों को 
जल तो जाते हैं कई जंगल भी 
पर उनकी राख से भी तो 
निकलती हैं फूलों की नयी कलियाँ 
फिर क्यों अपनी मासूमियत को भूल जाना 
कोई खेल-वेल तो नहीं है 
येह ज़िंदगी!

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